वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, फ्लोरिडा
Updated Sat, 24 Oct 2020 10:59 PM IST
डोनाल्ड ट्रंप
– फोटो : सोशल मीडिया
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बता दें कि अमेरिका में इस तरह की वोटिंग को ‘अर्ली वोटिंग’ (Early Voting) कहा जाता है। इससे पहले फ्लोरिडा में एक रैली को संबोधित करते हुए ट्रंप ने लोगों से ‘अर्ली वोटिंग’ का फायदा उठाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि, मैं आप पर निर्भर हूं। बाहर निकलिए और वोट कीजिए। अपने परिवार, पड़ोसी, साथ काम करने वाले सबको वोट देने ले आइए।
JUST VOTED. A great honor!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) October 24, 2020
चुनाव की असल तारीख से पहले वोट डालने की सुविधा को अर्ली वोटिंग कहते हैं। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा वोटिंग सुनिश्चित करना है। असल वोटिंग वाले दिन पोलिंग सेंटरों पर भीड़ और दिक्कत से बचने के लिए भी इस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। जो लोग चुनाव के दिन किसी वजह से वोट नहीं दे सकते, वो भी इस सुविधा का फायदा उठाते हैं। अमेरिका में कई राज्य चुनाव की असल तारीख से पहले वोट डालने की सुविधा देते हैं।
बता दें कि 2016 में ट्रंप यहां से जीत गए थे। ट्रंप ने फ्लोरिडा में 49.02 प्रतिशत मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि उनकी तत्कालीन डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन 47.82 प्रतिशत मतों पर सिमट गई थीं। मगर अभी के ओपिनियन पोल्स का अनुमान है कि इस बार राज्य में ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन के बीच कांटे की टक्कर है।
अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव तीन नवंबर को है। डोनाल्ड ट्रंप के लिए इस बार सत्ता की राह आसान नहीं है। कोरोना महामारी के चलते लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकांश अमेरिकी कोरोना से मुकाबले के लिए ट्रंप प्रशासन की नीतियों से खफा हैं। उन्हें लगता है कि अगर कोरोना के खिलाफ शुरुआत में ही सख्त कदम उठाए जाते, तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती।
ट्रंप खुद भी जानते हैं कि कोरोना के चलते उनके लिए मुकाबला काफी कड़ा हो गया है। ट्रंप लम्बे समय तक कड़े उपायों और मास्क का विरोध करते रहे। नतीजा यह रहा कि वह खुद कोरोना से संक्रमित हो गए।