टेक, डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 12 Nov 2020 07:31 PM IST
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ओटीटी प्लेटफॉर्म यानी नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, एमएक्स प्लेयर, हॉटस्टार जैसे ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और न्यूज वेबसाइट अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे। केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस नोटिफिकेशन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं लेकिन इस संबंध में अभी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है। बता दें कि लंबे समय से ओटीटी और ऑनलाइन कंटेंट को सेंसर करने की मांग चल रही थी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी दलील दी गई थी जिसमें कहा गया था कि टीवी से ज्यादा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की निगरानी जरूरी है।
सरकार की इस सेंसरशिप से क्या-क्या बदलेगा?
सबसे पहले आपको बता दें कि इस वक्त देश में ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी नहीं होती है और ना ही इसे देखने के लिए कोई कानून या संस्था है, लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को लेकर लगातार हो रही शिकायतों के बाद इनकी निगरानी की जरूरत पड़ी है। इन्हें नियंत्रित करने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई। इस पर पिछले माह कोर्ट ने केंद्र और इंटरनेट-मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए। ऑनलाइन कंटेंट सेंसरशिप के दायरे में वीडियो प्लेटफॉर्म के अलावा न्यूज पोर्टल भी आएंगे।
फर्जी खबरों की भरमार
मौजूदा समय में तमाम तरह के न्यूज पोर्टल हो गए हैं जिनके जरिए फर्जी खबरों को फैलाया जा रहा है लेकिन सेंसरशिप के बाद इसे लेकर भी कानून बनेगा और रिजस्ट्रेशन के बाद ही पोर्ट चल सकेंगे। वहीं फिलहाल सेंसर ना होने की वजह से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मनोरंजन के नाम पर गालियां और अश्लीलता परोसने का आरोप लग रहा है, लेकिन सेंसरशिप होने के बाद ऐसा शायद ही होगा।
भारत सरकार की सेंसरशिप के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई तरह के बदलाव होंगे, जैसे कि किस उम्र के लोग कौन सी फिल्म देख पाएंगे, इसका पैमाना बनेगा। आपत्तिजनक सीन हटाए जा सकेंगे। एडल्ट कंटेंट को फिल्टर किया जा सकता है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म यानी नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, एमएक्स प्लेयर, हॉटस्टार जैसे ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और न्यूज वेबसाइट अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे। केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस नोटिफिकेशन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं लेकिन इस संबंध में अभी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है। बता दें कि लंबे समय से ओटीटी और ऑनलाइन कंटेंट को सेंसर करने की मांग चल रही थी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी दलील दी गई थी जिसमें कहा गया था कि टीवी से ज्यादा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की निगरानी जरूरी है।
सरकार की इस सेंसरशिप से क्या-क्या बदलेगा?
सबसे पहले आपको बता दें कि इस वक्त देश में ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी नहीं होती है और ना ही इसे देखने के लिए कोई कानून या संस्था है, लेकिन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को लेकर लगातार हो रही शिकायतों के बाद इनकी निगरानी की जरूरत पड़ी है। इन्हें नियंत्रित करने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई। इस पर पिछले माह कोर्ट ने केंद्र और इंटरनेट-मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए। ऑनलाइन कंटेंट सेंसरशिप के दायरे में वीडियो प्लेटफॉर्म के अलावा न्यूज पोर्टल भी आएंगे।
फर्जी खबरों की भरमार
मौजूदा समय में तमाम तरह के न्यूज पोर्टल हो गए हैं जिनके जरिए फर्जी खबरों को फैलाया जा रहा है लेकिन सेंसरशिप के बाद इसे लेकर भी कानून बनेगा और रिजस्ट्रेशन के बाद ही पोर्ट चल सकेंगे। वहीं फिलहाल सेंसर ना होने की वजह से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मनोरंजन के नाम पर गालियां और अश्लीलता परोसने का आरोप लग रहा है, लेकिन सेंसरशिप होने के बाद ऐसा शायद ही होगा।
भारत सरकार की सेंसरशिप के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई तरह के बदलाव होंगे, जैसे कि किस उम्र के लोग कौन सी फिल्म देख पाएंगे, इसका पैमाना बनेगा। आपत्तिजनक सीन हटाए जा सकेंगे। एडल्ट कंटेंट को फिल्टर किया जा सकता है।
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