अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Updated Sat, 21 Nov 2020 03:08 AM IST
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सीजेआई एसए बोबडे की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, यूपी सरकार को केरल वर्किंग जर्नलिस्ट्स के वकील के कप्पन से मिलकर वकालतनामा पर हस्ताक्षर कराने में कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि उन्होंने एसोसिएशन द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने पर सवाल उठाया।
राज्य सरकार ने एसोसिएशन के दावों को झूठा बताते हुए कहा, कप्पन को गिरफ्तार करने के बाद उसके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तारी के बारे में तुरंत सूचित किया गया था। अभी तक परिवार का कोई सदस्य जेल में मिलने नहीं आया। कप्पन की उसके घरवालों से बात कराई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा, वह हलफनामे के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब पेश करें। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि पिछली सुनवाई में कुछ मीडिया ने अनुचित रिपोर्टिंग की।
गौरतलब है कि एसोसिएशन ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि कप्पन को 5 अक्तूबर को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया।
अवैध हिरासत में नहीं है कप्पन
राज्य सरकार ने यह भी साफ किया कि कप्पन अवैध हिरासत में नहीं है बल्कि एक सक्षम अदालत द्वारा पारित न्यायिक आदेश के तहत वह न्यायिक हिरासत में है। राज्य सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने झूठ का सहारा लिया है और केवल मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए शपथ पर कई गलत बयान दिए हैं। यही नहीं अब तक की जांच में कप्पन के प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध होने के सबूत भी सामने आए हैं।