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कोरोना के बढ़ते मामले और वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम को देखते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने पटाखे चलाने पर पाबंदी लगा दी थी। दूसरी तरफ अमर उजाला की ओर भी लगातार पटाखे न चलाने की अपील की गई थी। इसका असर दिवाली की रात वायु प्रदूषण के स्तर में देखने को मिली। शनिवार रात दस बजे जब पटाखों की आवाज आना शुरू हो गई थी, उस समय चंडीगढ़ सेक्टर-25 का एक्यूआई 127 रिकार्ड किया गया था। हालांकि उसके बाद उसमें भी थोड़ी बढ़ोतरी हुई। रविवार सुबह जब उत्तर भारत के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर था लेकिन चंडीगढ़ का एक्यूआई 128 रिकार्ड किया गया।
सेक्टर-39 का एक्यूआई सबसे खराब
चंडीगढ़ के साथ लगते मोहाली में खूब पटाखे चलाए गए। इसका असर मोहाली से सटे चंडीगढ़ के इलाके में नजर आया। सेक्टर-39 में एक्यूआई 314 रिकार्ड किया गया, जो दूषित हवा की श्रेणी में आता है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले यह कम रहा। साल 2019 में दिवाली की रात इलाके का एक्यूआई 352 रिकार्ड किया गया था। सेक्टर-25 का एक्यूआई इस बार सबसे कम रिकार्ड हुआ है। दिवाली की रात यहां का एक्यूआई 140 रिकार्ड हुआ, जबकि पिछले साल दो गुना से ज्यादा 341 एक्यूआई रहा था।
ध्वनि प्रदूषण में गिरावट, लेकिन तय मात्रा से ज्यादा
चंडीगढ़ के पर्यावरण विभाग के मुताबिक, आतिशबाजी पर पाबंदी से ध्वनि प्रदूषण में करीब दस डेसीबल की गिरावट दर्ज की गई। पिछले साल अधिकतम तापमान ध्वनि प्रदूषण 79.8 डेसीबल रिकार्ड किया गया था, जबकि इस बार ध्वनि प्रदूषण की अधिकतम मात्रा 66.6 डेसीबल दर्ज हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, रात के वक्त वातावरण में 35 डेसीबल और दिन में 45 डेसीबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
चंडीगढ़ में रात दस बजे के बाद चले पटाखे
प्रशासन की ओर से जारी प्रतिबंध का असर जरूर देखने को मिला है। रात नौ बजे तक चंडीगढ़ में शांति थी, लेकिन दस बजे के आसपास पटाखे चलाने शुरू हो गए। खासकर उन इलाकों में जो पंचकूला व मोहाली से लगते थे। सेक्टर के स्थानीय लोगों ने भी पटाखों की आवाजें सुनीं। रात तक वायु प्रदूषण पर नजर रख रहे पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र खैवाल ने भी बताया कि रात में कई जगह पटाखे चले हैं।
दिवाली पर किस साल कितना रहा एक्यूआई
जगह 2020 2019 2018 2017
सेक्टर 39 314 352 — —
पेक 217 280 297 247
सेक्टर 17 227 247 177 137
सेक्टर 22 213 371 311 240
सेक्टर 25 140 341 — —
कोट
मैं पिछले दस सालों से दिवाली पर प्रदूषण को देख रहा हूं। उसके आधार पर कह सकता हूं कि दिवाली की रात का वायु प्रदूषण पिछले दस सालों में इस बार सबसे कम दर्ज किया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन, पीयू-पीजीआई की ओर से जारी बच्चों के लिए बुकलेट और अमर उजाला की ओर से चलाए गए अभियान की वजह से लोगों में पटाखों के प्रति जागरूकता आई है।
-डॉ. रविंद्र खैवाल, एडिशनल प्रोफेसर, इनवायरमेंट हेल्थ पीजीआई